कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं...
ये बारिशें भी कुछ कुछ #तुम सी हैं...
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जितनी #चाहत हैं ,उतनी नाराज़ भी हूँ मैं
क्यो तेरे इंतजार में, यहाँ आज भी हूँ मैं
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हमारा मसला ये है की,
हम शाम होते ही खुद से थोड़ा फरार चाहते हैं,
बिछड़ने वालो ने हमें पहले ही बताया था,
हम किसी भी शख्स को एक बार एक चाहते हैं...!!
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